मुख्यमंत्री श्री चौहान पद्मश्री सम्मान पाने वालों को 4 फरवरी को सम्मानित करेंगे
इस वर्ष प्रदेश की 5 विभूतियों को दिया जायेगा पद्मश्री सम्मान
भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 4 फरवरी को मध्यप्रदेश की उन विभूतियों को सम्मानित करेंगे, जिन्हें इस वर्ष पद्मश्री सम्मान दिये जाने की घोषणा हुई है। सम्मान समारोह मुख्यमंत्री निवास पर सायं आयोजित किया जायेगा।
इस वर्ष मध्यप्रदेश की विभूतियों में चिकित्सा के क्षेत्र में स्व. डॉ. एन.पी. मिश्रा, कला के क्षेत्र में श्रीमती दुर्गाबाई व्याम, श्री अर्जुन सिंह धुर्वे एवं श्री रामसहाय पाण्डे तथा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में श्री अवध किशोर जड़िया को पद्मश्री सम्मान दिये जाने की घोषणा की गई है। इन सभी को मुख्यमंत्री श्री चौहान सम्मानित करेंगे। स्व. डॉ. एन.पी. मिश्रा की ओर से सम्मान उनके पुत्र श्री सुनील मिश्रा प्राप्त करेंगे।
स्व. डॉ. एन.पी. मिश्रा
चिकित्सा शास्त्र के ज्ञानकोष कहे जाने वाले विश्वविख्यात चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र प्रसाद मिश्रा मध्यप्रदेश के गौरव थे। उन्होंने लेक्चरर, रीडर, डीन तथा हैड ऑफ द डिपार्टमेंट जैसे पदों पर रहकर हजारों छात्र-छात्राओं को चिकित्सा शास्त्र का गहन ज्ञान एवं प्रशिक्षण प्रदान किया। भोपाल गैस त्रासदी के उपरांत उन्होंने हजारों पीड़ितों के लिये असाधारण चिकित्सा व्यवस्था की। उन्होंने अत्यंत अल्प समय में मात्र 800 शायिकाओं वाले हमीदिया अस्पताल में 10 हजार 700 रोगियों को भर्ती कर समुचित उपचार व्यवस्था की तथा एक लाख 73 हजार बाह्य रोगियों की चिकित्सा की। इस संबंध में जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिसिन ने उन पर सम्पादकीय प्रकाशित किया।
श्रीमती दुर्गाबाई व्याम
डिण्डोरी जिले के करंजिया विकासखण्ड अंतर्गत पाटनगढ़ निवासी श्रीमती दुर्गाबाई व्याम ने गोंडी पेंटिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। वर्तमान में श्रीमती दुर्गाबाई भोपाल में जनजातीय कला की गोंड शैली में कार्य करती हैं। उनकी चित्रकला के विषय आदिवासी लोक-कथाओं और पौराणिक कथाओं में निहित हैं। श्रीमती दुर्गाबाई ने भारत एवं विदेशों में गोंडी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने गोंड शैली में हवाई जहाज के चित्रों की श्रृंखला बनाई है।
श्री अर्जुन सिंह धुर्वे
श्री अर्जुन सिंह धुर्वे ने मध्यप्रदेश जनजातीय संस्कृति को विशेष पहचान दिलाने में अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने बैगा नृत्य एवं संस्कृति को प्रवहमान रखते हुए लोक कला को शिखर पर पहुँचाया है। वे डिण्डोरी जिले के बैगाचक क्षेत्र धुरकुटा के निवासी हैं। वे बैगा जनजाति के प्रथम पोस्टग्रेजुएट शिक्षक बने। वर्ष 1993-94 में श्री धुर्वे को जनजातीय सम्पदा के कलात्मक संवर्धन विकास के लिये राज्य सरकार ने तुलसी सम्मान से विभूषित किया। बैगा प्रधानी नृत्य, जो बैगा जनजाति का मुख्य नृत्य है, की उन्होंने राज्य एवं राज्य के बाहर प्रस्तुतियाँ देकर स्वयं की और प्रदेश की जनजातीय कला-संस्कृति की पहचान बनाई है।
पं. रामसहाय पाण्डे
पं. रामसहाय पाण्डे ने बुंदेलखण्ड के गीत, संगीत एवं संस्कृति की पहचान राई नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलवाई। उन्होंने बेड़िया समाज के लोगों को समाज की मुख्य-धारा से जोड़ने के लिये राई नृत्य के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किया है। कनेरादेव, सागर के श्री रामसहाय पाण्डे 12 वर्ष की उम्र से राई नृत्य कर रहे हैं। उन्होंने जापान, हंगरी, फ्रांस, मॉरीशस, दुबई, जर्मनी सहित अनेक देशों में राई नृत्य का प्रदर्शन किया है। उन्हें शिखर सम्मान, राष्ट्रीय टैगोर सम्मान, राष्ट्रीय तुलसी सम्मान आदि मिल चुके हैं।
डॉ. अवध किशोर जड़िया
छतरपुर जिले के हरपालपुर के श्री अवध किशोर जड़िया बुंदेली के ख्याति-प्राप्त कवि हैं। उन्होंने बुंदेली भाषा के साथ ब्रज एवं हिन्दी भाषा में भी कई काव्य रचनाएँ लिखी हैं। श्री जड़िया को साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार एवं सम्मान मिले हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया उनकी कविताओं के प्रशंसक थे। उनकी कुछ कविताएँ मध्यप्रदेश के शिक्षा पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं।
पंकज मित्तल