ऋषिकेश, । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पौष पूर्णिमा की शुभकामनायें देते हुये कहा कि हमारे शास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा का अत्यंत महत्व है। आज वर्ष 2022 की प्रथम पूर्णिमा है और इस पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर स्नान-दान का अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से पौष पूर्णिमा के दिन से ही कल्पवास की शुरुआत की जाती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी अपने घरों में रहकर ही स्नान, ध्यान और पूजन करें। पवित्र तिथियों पर माँ गंगा और अन्य पवित्र नदियों में केवल एक डबकी और एक आचमन नहीं है बल्कि आत्ममंथन की डुबकी का भी विशेष महत्व है। आईये आज आत्ममंथन की डुबकी के साथ जो जहां पर हैं वही से कल्पवास का शुभारम्भ करें।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे पर्व और पवित्र तिथियां हमें शिक्षा देते हैं कि जीवन का सार संतुलन में है। संतुलन के साथ हर परिस्थिति, महामारी और समस्या का समाधान किया जा सकता है। हमारे शास्त्र और धर्मग्रंथ हर परिस्थिति में एक नयी राह दिखाते है। भारतीय धर्मग्रंथ हमारी विरासत ही नहीं बल्कि हर युग के लिये प्रासंगिक भी हैं इसलिये उन संदेशों को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ते रहें।
स्वामी जी ने कहा कि धर्मग्रंथांे और पर्वों के माध्यम से व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य व नैतिक-अनैतिक का निर्णय करने की क्षमता, ज्ञान और नैतिकता भी प्राप्त होती है। पर्व हमें अपनी प्रकृति, पर्यावरण और सम्पूर्ण मानवता के प्रति ‘संवेदनशील होने का संदेश देते है। साथ ही अहम से वयं की ओर बढ़ने का संदेश भी देते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 का प्रकोप पुनः बढ़ रहा है ऐसे में कोविड गाइडलाइनों का पालन करें और सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि समस्यायें हर व्यक्ति को सृजनात्मक बना देती है इसलिये इस समय अपने भीतर तलाशे और जीवन को तराशे
पौष पूर्णिमा की शुभकामनायें पौष पूर्णिमा पर आत्ममंथन की डुबकी समस्याओं से सजृनात्मकता की ओर स्वामी चिदानन्द सरस्वती
पौष पूर्णिमा की शुभकामनायें
पौष पूर्णिमा पर आत्ममंथन की डुबकी
समस्याओं से सजृनात्मकता की ओर
स्वामी चिदानन्द सरस्वती